गुरूजी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे,
लागया म्हारे हिवड़ा रे माय,
म्हारा बालमा।।
प्याला तो पाया म्हाने,
प्रेम ना हो जी रे,
आवे अमृत री डकार,
म्हारा बालमा,
गुरू जी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे।।
अंतर ना पट गुरू,
खोलिया हो जी रे,
आवे आनंद नी लीला लहर,
म्हारा बालमा,
गुरू जी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे।।
त्रिकुटी ना ताला,
गुरु खोलिया हो जी रे,
घट मा हुयो रे प्रकाश,
म्हारा बालमा,
गुरू जी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे।।
अखंड समाधी लागी,
देह मा हो जी रे,
लागी रहे आठो पहर,
म्हारा बालमा,
गुरू जी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे।।
मानसरोवर मन,
बणावियो हो जी रे,
निकलिया मोतिड़ा अपार,
म्हारा बालमा,
गुरू जी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे।।
साहिब कबीर नी आ,
विनती हो जी रे,
जन्म मरण मिट जाय,
म्हारा बालमा,
गुरू जी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे।।
गुरूजी ने वचन बाण,
मारिया हो जी रे,
लागया म्हारे हिवड़ा रे माय,
म्हारा बालमा।।
स्वर – पूज्य श्री राधाकृष्ण जी महाराज।
प्रेषक – केशव।