हरि नाम ध्यालो,
नाम धन कमालो, 
कि दिन आखिरी अब, 
करीब आ गया है,
जीवन को अपने सफल बनालो,
कि दिन आखिरी, 
अब करीब आ गया है।।
तर्ज – ये माना मेरी जा।
जिसने गुरू का, 
लिया है सहारा,
उसी को गुरू ने, 
भव से है तारा..हाँ,
बड़े है निराले, 
वो भाग्य वाले,
जो सतगुरू के, 
करीब आ गया है।
हरि नाम ध्यालों,
नाम धन कमालो, 
कि दिन आखिरी अब, 
करीब आ गया है।।
न तन काम आए, 
न धन काम आए,
यहाँ कि ये दौलत, 
यही रह जाए,,हाँ,
चलता रहा जो, 
राह गुरु की, 
वो मँज़िल के अपनी, 
करीब आ गया है।
हरि नाम ध्यालों,
नाम धन कमालो, 
कि दिन आखिरी अब, 
करीब आ गया है।।
बचपन है बीता, 
आई जवानी,
समय है बहुत कम,
हरि भज प्राणी, हाँ..
गुरू की निशानी, 
पड़ेगी लोटानी,
बुढ़ापा भी अब तो, 
करीब आ गया है।
हरि नाम ध्यालों,
नाम धन कमालो, 
कि दिन आखिरी अब, 
करीब आ गया है।।
हरि नाम ध्यालो,
नाम धन कमालो, 
कि दिन आखिरी अब, 
करीब आ गया है,
जीवन को अपने सफल बनालो,
कि दिन आखिरी, 
अब करीब आ गया है।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक – 
शिवनारायण वर्मा, 
मोबा.न.8818932923
 
			








 
