वरदान अहाँ सं की मांगी,
दोहा – नमामि काली नमामि दुर्गे,
नमामि देवी महेश्वरी,
नमामि साक्षात् परब्रम्ह,
नमामि तू सर्वेश्वरी।
वरदान अहाँ सं की मांगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
यदि पूत कपूत भए जग में,
कहूँ माता कुमाता कतऊ ने सुनी,
यदि पूत कपूत भए जग में,
कहूँ माता कुमाता कतऊ ने सुनी,
जँ माता कुमाता भए जग में,
त ममता नाम कियाक धरी,
वरदान अहा स की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
हम निर्बल अधम अज्ञानी छी,
पर माता एक अहिं पर छी,
हम निर्बल अधम अज्ञानी छी,
पर माता एक अहिं पर छी,
तैइयो यदि हाथ पसार परै,
अनुरोध कहू ककरा सं करी,
वरदान अहा स की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
नही कियो जग मे भेट रहल,
ककरा मोनक हम बात कही,
नही कियो जग मे भेट रहल,
ककरा मोनक हम बात कही,
हम भक्त जनों के विनती,
निज पुत्र बुइझ स्वीकार करी,
वरदान अहा स की माँगी,
आशीष के आश किया ने धरी।।
Singer – Dilip Darbhangiya