थाकी मूरत प्यारी घणी लागे,
दोहा – सर्व कला में निपुण जो,
रचयिता जगत के महान,
वंदन उनको बारबार,
श्री विश्वकर्मा भगवान।
थाकी मूरत प्यारी घणी लागे,
म्हानै विश्वकर्मा जी दातार,
विश्वकर्मा महाराज,
म्हारा चारभुजा रा सरकार।।
शंभु के आग्रह पे आपने,
लंका दी थी बनाए,
लंका दी थी बनाए,
आपने सोना चांदी जड़ाए,
हो थाकी सूरत प्यारी लागे,
म्हानै विश्वकर्मा जी महाराज।।
कृष्ण कन्हैया का आग्रह पर,
द्वारिका दिन्ही बनाए,
द्वारिका दिन्ही बनाए,
जिमे हीरा मोती जड़ाए,
हो थाकी सूरत प्यारी लागे,
म्हानै विश्वकर्मा जी महाराज।।
विजयनगर में थाकों मंदिर बनियों,
थे हो पुष्कर राज,
थे हो पुष्कर राज प्रभुजी ओ,
थे हो पुष्कर राज,
हो थाकी सूरत प्यारी लागे,
म्हानै विश्वकर्मा जी महाराज।।
किंजा आपको भजन बनायो,
गावेला हर बार,
सब भक्ता की लाज राखजो,
करजो भव सों पार,
हो थाकी सूरत प्यारी लागे,
म्हानै विश्वकर्मा जी महाराज।।
लेखक व गायक – श्री नवीन जी जांगिड़।
किंजा, विजयनगर।