तेरी यादों का वो मंजर,
मुझे कितना रूलाता है,
तू जब जब याद आता है।।
तर्ज – ये दुनिया प्यार के किस्से।
क्या मालूम था कि गर्दिश का,
सितारा ऐसे टूटेगा,
जीवन के सफर मे एक दिन,
तेरा साथ छूटेगा,
तेरे बिन ऐ मेरे हमदम,
नही दिल चैन पाता है,
तू जब जब याद आता है।।
तेरे होने की गर मुझको,
कही कोई आस मिल जाए,
तमन्ना है मेरी इतनी,
मुझे तू काश मिल जाए,
गुजारा साथ जो लम्हा,
वही नस्तर चुभाता है,
तू जब जब याद आता है।।
बिखरती आस उल्फत की,
यही फरियाद करती है,
चले आओ चले आओ,
निगाहें याद करती है,
रूपगिर का दुखी नगमा,
तुम्हें हरदम बुलाता है,
तू जब जब याद आता है।।
तेरी यादों का वो मंजर,
मुझे कितना रूलाता है,
तू जब जब याद आता है।।
गायक – रूपगिरी वेदाचार्य जी महाराज।
प्रेषक – ललित कुमार।