तेरा नहीं रे जगत में कोई या दुनिया सारी मतलब की

तेरा नहीं रे जगत में कोई या दुनिया सारी मतलब की
विविध भजन

तेरा नहीं रे जगत में कोई,
या दुनिया सारी मतलब की।।



मोह माया के जाल में फसके,

क्यों तू वक्त गंवाए,
क्यों तू वक्त गंवाए,
जिनके कारण फिरे भरम का,
कोई काम ना आवे,
कोई काम ना आवे,
तेरा कोई ना दीवाने बन्दे होए,
या दुनिया सारी मतलब की,
तेरा नही रें जगत में कोई,
या दुनिया सारी मतलब की।।



मात पिता सुन बंधू सारे,

मतलब के है यार,
मतलब के है यार,
अपने मतलब के कारण प्रिया,
करती तुमसे प्यार,
करती तुमसे प्यार,
तू क्यों रहा रे नींद में सोय,
या दुनिया सारी मतलब की,
तेरा नही रें जगत में कोई,
या दुनिया सारी मतलब की।।



झूठे जग से प्रीत लगाई,

सच्ची राह त्याग,
सच्ची राह त्याग,
गफलत में तू क्यों पड़ सोया,
मुरख अब तो जाग,
मुरख अब तो जाग,
अपना पापों में जीवन खोय,
या दुनिया सारी मतलब की,
तेरा नही रें जगत में कोई,
या दुनिया सारी मतलब की।।



सत्य नाम का सुमिरण करले,

मन के मेल मिटाए,
मन के मेल मिटाए,
उसके नाम के सुमिरण से तेरी,
बिगड़ी बनती जाए,
बिगड़ी बनती जाए,
सारे दाग दिलों के तू धोय,
या दुनिया सारी मतलब की,
तेरा नही रें जगत में कोई,
या दुनिया सारी मतलब की।।



तेरा नहीं रे जगत में कोई,

या दुनिया सारी मतलब की।।


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