तन के तम्बूरे में दो सांसों के तार बोले

तन के तम्बूरे में दो सांसों के तार बोले

जय सिया राम जय जय राधे श्याम।। 


अब तो इस मन के मंदिर में प्रभु का हुआ बसेरा,

मगन हुआ मन मेरा छूटा जनम जनम का फेरा

मन की मुरलिया में सुर का सिंगार बोले

जय सिया राम जय जय राधे श्याम।। 


लगन लगी लीला धारी से जगी रे जगमग ज्योति, 

राम नाम का हीरा पाया, श्याम नाम का मोती

प्यासी दो अंखियो में असुओ के धार बोले

जय सिया राम जय जय राधे श्याम।। 


तन के तम्बूरे में दो सांसों के तार बोले

जय सिया राम जय जय राधे श्याम।। 

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