सुणो म्हारी मावड़ी जनक जी री डावड़ी सीताजी भजन

सुणो म्हारी मावड़ी,
जनक जी री डावड़ी,
सब जीवड़ां रो दुःख दूर कर दे,
म्हां री थोड़ी सी आ अरज,
मंजूर कर दे।।



करो इत्ती पूर्ती,

कृपा री थे मूर्ति,
कियो सब माफ कसूर कर दे।।



परम सयाणी,

सीता महाराणी,
राम भगति मं भरपूर कर दे।।



दूजी बातां टाळ दे,

कपूतड़ा नै पाळज्ये,
राम नाम नशै मांय चूर कर दे।।



भेजो जठै जावूं,

जोड़ी रा गुण गावूं,
सब संतां री पग धूर कर दे।।



सुणो म्हारी मावड़ी,

जनक जी री डावड़ी,
सब जीवड़ां रो दुःख दूर कर दे,
म्हां री थोड़ी सी आ अरज,
मंजूर कर दे।।

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