श्याम ऐसो जिया में समाए गयो री भजन लिरिक्स

श्याम ऐसो जिया में समाए गयो री भजन लिरिक्स
कृष्ण भजनविनोद अग्रवाल भजन

श्याम ऐसो जिया में,
समाए गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



सोहनी सूरत माधुरी मूरत,

सोहनी सूरत माधुरी मूरत,
मोहे एक झलक,
दिखाय गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



चोरी चोरी चुपके चुपके,

चोरी चोरी चुपके चुपके,
मोहे यमुना के तट पे,
बुलाय गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



आवरी बावरी कर गयो री मोहे,

आवरी बावरी कर गयो री मोहे,
चित्त को मेरे,
चुराय गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



मनवा मोरा नहीं मेरे वश में,

मनवा मोरा नहीं मेरे वश में,
वो मन को मेरे,
लुभाय गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



आकुल व्याकुल फिरूं भवन में,

आकुल व्याकुल फिरूं भवन में,
वो तो प्रेम को रोग,
लगाय गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



कहा कहूँ सखी कैसे बताऊँ,

कहा कहूँ सखी कैसे बताऊँ,
वो तो मोहे अपनों,
बनाय गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।



श्याम ऐसो जिया में,

समाए गयो री,
मेरे तन मन की,
सुधबुध भुलाय गयो री।।

स्वर – विनोद अग्रवाल जी।


https://youtu.be/rouhplmQLOY

One thought on “श्याम ऐसो जिया में समाए गयो री भजन लिरिक्स

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: कृपया प्ले स्टोर से भजन डायरी एप्प इंस्टाल करे