शंकर प्यारा लागो,
रामेश्वर प्यारा लागो,
थाके शीश गंग की धारा,
प्यारी लागे भोला भंडारी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
थे पार्वती संग साजो,
नाड्या पर आप बिराजो,
थाके नाड्या की असवारी,
प्यारी लागे भोला शंकर जी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
थाके अंग विभूति राजे,
थाके कर में डमरू बाजे,
थाकी नीलकंठ की झांकी,
प्यारी लागे भोला शंकर जी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
थाकी अरुण चरण नख ज्योति,
जाणे पडया पड्या कमल पर मोती,
थाकी मनमोहन मूर्तियां,
प्यारी लागे भोला शंकर जी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
थाके जटा मुकुट चमके छे,
थाके थाल चंद्र चमके छे,
थाके नागा की लटकण्या,
प्यारी लागे भोला शंकर जी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
मम ईस्ट इष्ट कैलाशी,
थाको धाम बण्यो है काशी,
थे तो दीन गंग पर दया की,
दृष्टि विचारों भोला शंकर जी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
शंकर प्यारा लागो,
रामेश्वर प्यारा लागो,
थाके शीश गंग की धारा,
प्यारी लागे भोला भंडारी,
थे संकट शोक निवारो जी।।
गायक – रमेश प्रजापत टोंक।