प्रभु जी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की,
गरीबन की रे गरीबन की,
प्रभुजी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की।।
सीता को रावण ले गया,
मुक्ति के ध्यान में,
सब लंका खाक कर दइ,
हनुमत ने एक ही उड़ान में,
बच गई रे मढ़ैया विभीषण की,
प्रभुजी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की।।
प्रहलाद को बचा लिया,
अग्नि की आच से,
स्वाद पाया प्रभु ने,
विदुर के घर साग से,
तज दिनो मेवा दुर्योधन की,
प्रभुजी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की।।
भरी सभा में दुष्ट दुशासन,
खींचता द्रोपदी का चीर है,
खींचत खींचत थक गया,
दुर्बल भया शरीर है,
हांसी हो गई सभा में दुशाशन की,
प्रभुजी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की।।
डालीन के जाल में फंसी थी,
रुक्मणी सी बालिका,
जाकर मान घटाया प्रभु ने,
निशचर शिशुपाल का,
भई पूर्ण आशा बाई रुक्मण की,
प्रभुजी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की।।
प्रभु जी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की,
गरीबन की रे गरीबन की,
प्रभुजी लिज्यो खबरिया,
गरीबन की।।
गायक – पंडित हनुमान सहाय जी।
प्रेषक – सुरेश सुथार रेवाड़ा।
9460186627