केउ सांची सुनो हमारी,
पंचा को रुतबों भारी।
दोहा – बैठ हताया ऊपरे,
मति बोलजियो झूठ,
झूठ पाप को मूल है,
जम मारेला जूत।
केउ सांची सुनो हमारी,
पंचा को रुतबों भारी,
पंचा को रुतबों भारी,
पंचा को रुतबों भारी।।
छोटी मोटी राड़ मायने,
करे पटेलाई भारी,
सच को तो सम्मान करे नहीं,
जूठा पे बलिहारी,
पंचा को रुतबों भारी।।
दुर्बल की तो करे हलाली,
सक्षम से है यारी,
खुद कीचड़ में लतपथ भरिया,
और जज बन बैठिया भारी,
पंचा को रुतबों भारी।।
न्याय अन्याय रास नहीं आवे,
पैसा की लत न्यारी,
चंद कमीशन खातिर खुद की,
शाख बेचदी सारी,
पंचा को रुतबों भारी।।
ठेकेदार बण करे फैसला,
पटेल लाइसेंस धारी,
घर जोड़बो याद नहीं,
बिछड़ा पटके भारी,
पंचा को रुतबों भारी।।
दुबला पे दया राखजयो,
हाय लगेली भारी,
शानू केवे जन्मिया जो जन,
मरसी बारी बारी,
पंचा को रुतबों भारी।।
गायक – शानू रेगर सांवता।
9610489087