मुझे शरण में ले ले सांवरे,
दुनिया से मैं हार गया,
जिस को समझा मैंने अपना,
वोही खंजर मार गया।।
बाबा अपनी चोखट का तू,
नौकर मुझे बना लेना,
मन से तेरी करूगाँ सेवा,
जब चाहे अजमा लैना,
झुठे रिश्ते नातो से मैं,
हो बाबा लाचार गया,
जिस को समझा मैंने अपना,
वोही खंजर मार गया।।
अपनी मौर छड़ी का प्यारे,
झाडा मुझे लगा दैना,
गम के बादल है जो सर पे,
इन को दूर हटा दैना,
मैं समझू मुझ पागल का भी,
हो बाबा उद्धार गया,
जिस को समझा मैंने अपना,
वोही खंजर मार गया।।
हारे का तू एक सहारा,
कर विश्वास मै आया हूँ,
बाह पकडलो मेरी कन्हैया,
दुख ने घणा सताया हूँ,
तेरे दर से कोई बाबा,
खाली ना परिवार गया,
जिस को समझा मैंने अपना,
वोही खंजर मार गया।।
इन सासों का नहीं भरौसा,
कब तक साथ निभाएगी,
मरते दम तक लेकिन बाबा,
गुण तेरा ही गाएगी,
सुरेन्द्र सिंह समझेगा मेरा,
हो जीवन गुलजार गया,
जिस को समझा मैंने अपना,
वोही खंजर मार गया।।
मुझे शरण में ले ले सांवरे,
दुनिया से मैं हार गया,
जिस को समझा मैंने अपना,
वोही खंजर मार गया।।
गायक – सुरेन्द्र सिंह निठौरा।
9999641853