मोरी लाज रखो गिरधारी,
लाज रखो गिरधारी।।
जैसी लाज रखी अर्जुन की,
जैसी लाज रखी अर्जुन की,
भारत युद्ध पछारी,
सारथी बनकर रथ को हांक्यो,
सारथी बनकर रथ को हांक्यो,
चक्र सुदर्शन धारी,
भक्त की एक ना टारी,
मोरी लाज रखों गिरधारी,
लाज रखो गिरधारी।।
जैसी लाज रखी द्रौपदी की,
जैसी लाज रखी द्रौपदी की,
होन ना दीनी उघारी,
खेचत खेचत दो भुज थाके,
खेचत खेचत दो भुज थाके,
दुशासन पच धारी,
चीर बढ़ायो मुरारी,
मोरी लाज रखों गिरधारी,
लाज रखो गिरधारी।।
सूरदास की लाज रखो प्रभु,
सूरदास की लाज रखो प्रभु,
अब तोहे रखवारी,
राधे राधे सुमिरो प्यारो,
राधे राधे सुमिरो प्यारो,
श्री हरिवंश दुलारी,
शरण में आयो तिहारी,
मोरी लाज रखों गिरधारी,
लाज रखो गिरधारी।।
मोरी लाज रखो गिरधारी,
लाज रखो गिरधारी।।
गायक – श्री इंद्रेश जी उपाध्याय।
लेखनी – महाकवि सूरदास जी।
प्रेषक – विनोद कुमार वैष्णव।
9414240116