म्हारे घर आया गुरू भगवान,
सोने रो सूरज उगीयो।।
सोवन कलश गंगाजल भरियो,
सखियां मंगल गाय रही,
धूप दीप से करो आरती,
केसर रो तिलक लगाय,
सोने रो सूरज उगीयो।।
ढोल नगाड़ा नौबत बाजे,
झालर री झणकार जी,
ढोलक पेटी झींझा बाजे,
गुरूजी ने लेवा बधाय,
सोने रो सूरज उगीयो।।
अंतर्यामी आया आंगणे,
बैठा आसन लगाय के,
नर नारी और टाबर सगला,
प्रेम रा पुष्प चढा़य,
सोने रो सूरज उगीयो।।
हरि गुण गावा चंवर ढुलावा,
लूल लूल लागा पांव जी,
दास भगत गुरूजी शरणे,
गुरूजी ने लेवा रे बधाय,
सोने रो सूरज उगीयो।।
म्हारे घर आया गुरू भगवान,
सोने रो सूरज उगीयो।।
गायक – संत श्री मदनदास जी महाराज।
प्रेषक – केशव।