माना इस संसार में भक्तो,
बेटी सदा पराई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है।।
तर्ज – क्या मिलिए ऐसे लोगो से।
इस कलयुग में मात पिता से,
बेटा अपना दूर हुआ,
माँ का नहीं मानता कहना,
पत्नी का वशीभूत हुआ,
रोते रोते माँ बाप को,
रोते रोते माँ बाप को,
बेटी आ के मनायी है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है।।
घर में रहके मात पिता के,
दुःख दर्दो को समझती है,
ख़ुशी रहे मेरे मात पिता वो,
ऐसी माला जपति है,
कैसे बताऊँ एक बेटी ने,
कैसे बताऊँ एक बेटी ने,
कितनी ठोकर खाई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है।।
बेटी ही तो आगे जाकर,
माँ का रूप कहाती है,
अपने बच्चो के खातिर वो,
कितने आंसू बहाती है,
दूजे घर में रहकर भी तो,
दूजे घर में रहकर भी तो,
अपनी माँ को मनाई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है।।
माना इस संसार में भक्तो,
बेटी सदा पराई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है,
मात पिता पर संकट आया,
बेटी पहले आई है।।
Singer- Nisha Dwivedi








Bahut sundar
लिरिक्स में बहुत त्रुटियां हैं
kya truti hai ji? kripya bataiye hum thik kar denge..