मालिक को भूल नहीं प्यारे,
जमारा मुश्किल से आया है।।
कई युगों से तूं भटका,
लख चौरासी में अटका,
बार बार जुणी में लटका,
मानुष तन दुर्लभ पाया है,
मालिक को भूल नही प्यारें,
जमारा मुश्किल से आया है।।
धन अरु धाम नही तेरा,
तू कहता कुटुम्ब है मेरा,
अन्त में काल ने घेरा,
नही तेरी ये काया है,
मालिक को भूल नही प्यारें,
जमारा मुश्किल से आया है।।
प्रभु ने रुप दिया भारी,
बण बैठा तूं बलकारी,
सुध-बुध भूल गया सारी,
चित से क्यों राम भूलाया है,
मालिक को भूल नही प्यारें,
जमारा मुश्किल से आया है।।
गुरु लूम्बानाथ शरणा,
सत्संग बिना कैसे हो तिरणा,
बलवन्त कछू काल से डरना,
सन्तो ने यूं फरमाया है,
मालिक को भूल नही प्यारें,
जमारा मुश्किल से आया है।।
मालिक को भूल नहीं प्यारे,
जमारा मुश्किल से आया है।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो – 8107115329
लेखक – बलवन्त राम लौट चेलासरी।








