मैया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा,
कण कण में माँ बसी है,
कण कण में माँ बसी है,
जिस ओर भी निहारा,
मईया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा।bd।
तर्ज – वो दिल कहाँ से लाऊँ।
सूरज की पहली किरणें,
करती है माँ का वंदन,
मईया यहां बिराजे,
मिट्टी भी जैसे चंदन,
महारानी के भवन में,
सेठानी के भवन में,
बहती है भक्ति धारा,
मईया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा।bd।
मंदिर में तेरे बैठूँ,
गुणगान तेरे गाऊँ,
बस तुझको ही मैं देखूं,
नजरें नहीं हटाऊँ,
फीका है तेरे आगे,
फीका है तेरे आगे,
बैकुंठ का नजारा,
मईया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा।bd।
मैया तेरे चरण में,
बस इतनी सी है विनती,
जन्मों जन्म माँ तेरे,
सेवा करूँ चरण की,
‘सौरभ मधुकर मैया,
‘सौरभ मधुकर’ मैया,
रखना मान हमारा,
मईया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा।bd।
मैया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा,
कण कण में माँ बसी है,
कण कण में माँ बसी है,
जिस ओर भी निहारा,
मईया तुम्हारा मंदिर,
लगता है कितना प्यारा।bd।
Singer – Keshav & Saurabh Madhukar