मैया एक बार आ जाओ,
दया मुझ पर दिखाने को,
मेरी बिगड़ी बनाने को,
मेरी बिगड़ी बनाने को,
मुझ पर ममता लुटाने को।।
तर्ज – मुझे पीने का शौक नहीं।
तेरे जैसा दयालू नहीं,
मैंने दूजा कहीं पाया,
झोली जिसने भी फैलाया,
माता से कुछ ना कुछ पाया,
आस हम भी लगाए है,
तुझसे आशीष पाने को,
मईया इक बार आ जाओ,
दया मुझ पर दिखाने को।।
लाखों दुख सहे हमने,
ठोकरे दर-बदर खाई,
न सहारा मिला कोई,
ना किसी को रहम आई,
कैसे दुखड़ा सुनाउ भला,
पत्थर दिल जमाने को,
मईया इक बार आ जाओ,
दया मुझ पर दिखाने को।।
कोई चौखट नहीं ऐसी,
जहां सजदा किया ना हो,
दर्द कोई नहीं ऐसा,
मैंने जिसको पिया ना हो,
तेरे दर आज आए है,
तेरा दर आजमाने को,
मईया इक बार आ जाओ,
दया मुझ पर दिखाने को।।
गर कोई खता हो मेरी,
माफ मुझको मां तुम करना,
भूल सारी भुला देना,
मेरे सारे सितम हरना,
रोता चेहरा हंसाने को,
गम का बादल हटाने को,
मईया इक बार आ जाओ,
दया मुझ पर दिखाने को।।
मैया एक बार आ जाओ,
दया मुझ पर दिखाने को,
मेरी बिगड़ी बनाने को,
मेरी बिगड़ी बनाने को,
मुझ पर ममता लुटाने को।।
गायक – पं. धर्मेंद्र शास्त्री जी महाराज।
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