कंवर सा बिना,
कोण बंधावे धीर,
घोड़ा ले बिना,
कोण बंधावे धीर।।
बागड़ देश में शिवजी आया,
बणके गोरख फकीर,
नागणी ने दियों केशसरो,
हां बाछल गोगो पीर,
अंतर्यामी बिना,
कोण बंधावे धीर,
घोड़ा ले बिना,
कोण बंधावे धीर।।
पान नारवा दंबा खांसी,
खोवे बेल गंभीर,
कोडिया रा कोड मिटावें,
हां कंचन करे रे शरीर,
अंतर्यामी बिना,
कोण बंधावे धीर,
घोड़ा ले बिना,
कोण बंधावे धीर।।
सातूं आठू कंवर केशरों,
नमूं ने गोगा पीर,
कोई चढ़ावे फुल पतासा हां,
कोई चढ़ावे खीर,
अंतर्यामी बिना,
कोण बंधावे धीर,
घोड़ा ले बिना,
कोण बंधावे धीर।।
बिछड़ीं माता पुत मिलावें,
बहन मिलावें बीर,
सुल्तान मीर आ गाई छांवली,
हां कस के मारो तीर,
अंतर्यामी बिना,
कोण बंधावे धीर,
घोड़ा ले बिना,
कोण बंधावे धीर।।
कंवर सा बिना,
कोण बंधावे धीर,
घोड़ा ले बिना,
कोण बंधावे धीर।।
गायक – बलवीर रणवीर।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170