काहे करता तू खुद पे,
गुमान बावरे।
दोहा – यहाँ अटल नियम,
उस दाता के,
यहाँ चले नहीं मनमानी है,
तुझे रहना जग में,
बस उतना तेरा,
जितना दाना पानी है।
राजा हो या रंग कोई,
बस सबकी यही कहानी है,
इस बात को समझे,
वो ही चतुर,
जो ना समझे अज्ञानी है।
काहे करता तू खुद पे,
गुमान बावरे,
एक दिन छूट जाएगा,
जहाँन बावरे,
कुछ कर ले जतन,
हरि नाम जप ले,
तेरे बाद भी रहेगा,
तेरा नाम बावरे।bd।
काहे करता जवानी पे गरूर है,
गरूर है,
काहे दौलत के नशे में मगरूर है,
मगरूर है,
तू महलों पे ना इतना गुमान कर ओ,
तू महलों पे ना इतना गुमान कर,
तेरा एक ही ठिकाना,
शमशान बावरे,
काहें करता तु खुद पे,
गुमान बावरे,
एक दिन छूट जाएगा,
जहाँन बावरे।bd।
अपनी जिंदगी ना ऐसे तू खराब कर,
हाँ खराब कर,
अपने कर्मों का थोड़ा तो हिसाब कर,
हाँ हिसाब कर,
कैसे मुहू दिखलाएगा तू राम को ओ,
कैसे मुहू दिखलाएगा तू राम को,
नहीं छिपते है पापों के,
निशान बावरे,
काहें करता तु खुद पे,
गुमान बावरे,
एक दिन छूट जाएगा,
जहाँन बावरे।bd।
झूठी दुनिया के झूठे रिश्तेदार है,
हाँ रिश्तेदार है,
इन रिश्तों में शामिल व्यापार है,
हाँ व्यापार है,
एक रिश्ता बना ले मेरे श्याम से ओ,
एक रिश्ता बना ले मेरे श्याम से,
आए रिश्ता यही,
तेरे काम बावरे,
काहें करता तु खुद पे,
गुमान बावरे,
एक दिन छूट जाएगा,
जहाँन बावरे।bd।
‘रोमी’ कर ले तू तौबा अब गुनाहों से,
हाँ गुनाहों से,
आजा मिलके चलें नेक राहों पे,
नेक राहों पे,
इन राहों पे मिलेगा एक दिन सांवरा ओ,
इन राहों पे मिलेगा एक दिन सांवरा,
तेरी हो जाएगी,
जान पहचान बावरे,
काहें करता तु खुद पे,
गुमान बावरे,
एक दिन छूट जाएगा,
जहाँन बावरे।bd।
काहे करता तू खुद पे,
गुमान बावरे,
एक दिन छूट जाएगा,
जहाँन बावरे,
कुछ कर ले जतन,
हरि नाम जप ले,
तेरे बाद भी रहेगा,
तेरा नाम बावरे।bd।
स्वर – श्री बृजदास शास्त्री जी महाराज।
6396788057