जिंदगी भर काम,
करते रह गए,
हरि भजन को हम,
तरसते रह गए।।
तर्ज – दिल के अरमा।
हरि भजन की प्यास,
तो लगती रही,
बिन गुरु के हम,
अधूरे रह गए,
ज़िन्दगी भर काम,
करते रह गए।।
माया का चक्कर,
तो यूं ही चला रहा,
और हम उसमें,
उलझ कर रह गए,
ज़िन्दगी भर काम,
करते रह गए।।
मन वचन और कर्म,
से जो कह गए,
नाम उनके ही,
जगत में रह गए,
ज़िन्दगी भर काम,
करते रह गए।।
दूसरों का दर्द,
जिसके दिल में हो,
दुख किसी का,
आंसू अपने बह गए,
ज़िन्दगी भर काम,
करते रह गए।।
जिंदगी भर काम,
करते रह गए,
हरि भजन को हम,
तरसते रह गए।।
Singer – Vandana Jangir
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