जबसे तेरे खाटू का,
नजारा मिल गया,
सच कहती हूँ,
जन्मों का गुजारा मिल गया,
सच कहती हूँ,
जन्मो का गुज़ारा मिल गया।।
तर्ज – जबसे खाटू वाले हम तुम्हारे।
जग की आशा छोड़ प्रभु मैं,
तेरे दर पे जब आयी थी,
जीवन का दाना पानी भी,
तेरे दर से ही पाई थी,
अब तो जीवन जीने का,
सहारा मिल गया,
सच कहती हूँ,
जन्मो का गुज़ारा मिल गया।।
तेरे दर्शन पाकर मुझको,
लगा कि कोई मेरा भी है,
सुनता है मेरी हर बातें,
और मुझे समझाता भी है,
जब से घर का मालिक श्याम,
हमारा बन गया,
सच कहती हूँ,
जन्मो का गुज़ारा मिल गया।।
श्याम कृपा से जीवन गुजरे,
इतनी सी अरदास है मेरी,
अंत समय सन्मुख हो बाबा,
‘रसिक’ और ना चाह है मेरी,
जीते जी मुझे जन्नत का…
दुआरा मिल गया,
सच कहती हूँ,
जन्मो का गुज़ारा मिल गया।।
जबसे तेरे खाटू का,
नज़ारा मिल गया,
सच कहती हूँ,
जन्मों का गुजारा मिल गया,
सच कहती हूँ,
जन्मो का गुज़ारा मिल गया।।
Singer – Dakshita Agarwal
Lyrics – Rinku Sharma ‘Rasik’