जाड़ो जोर को,
पड़े है मारा श्याम,
थे भी थोड़ो सो,
ध्यान राख जो,
चाले पुरवाई की,
सीली सीली भाळ,
सिगड़ी को,
इंतज़ाम राख जो।।
मरुधर की बालू जाड़े में,
बर्फ़ सरी हो जावे,
कड़ कड़ काँपे दांत ठंड से,
सर्दी घणी हो जावे,
बागो ऊन को,
सिमालियो बाबा श्याम,
थे मंदिर में निवांच राख जो,
ताता पानी से थे,
कीजो अस्नान,
सिगड़ी को इंतज़ाम राख जो।।
गुंद का लाड़ू के सागे थे,
दूध केसरियो पीजो,
गरम गरम बादाम के सीरे,
को ही कलेवो कीजो,
जीम्या पाछे खाजो,
लोंग वाला पान,
ऐसो ही खान-पान राख जो,
बाबा थामें ही,
बसी है मारी जान,
थे भी थोड़ो सो ध्यान राख जो।।
बहुत घनेडो पड़े कुआँसो,
ओस की बूँदा बरसे,
कोमल होंठ थारा फट जावें,
कम निकलो मंदर से,
कइया बांसुरी की छेड़ोगा थे तान,
होंठां पे चिकनास राख जो,
घी की डब्बी और,
मलाई मारा श्याम,
हमेशा ख़ुद के पास राख जो।।
जब भी सोने जाओ बाबा,
मखमल सेज बिछाजो,
दरवाज़े पे मोटा मोटा,
पर्दा भी लगवाजो,
सरिता गोलू की थे,
अरजी सुनो श्याम,
मारो भी थोरो मान राख जो,
थारी चिंता घणी,
सतावे मने श्याम,
थे आप को ख्याल राख जो।।
जाड़ो जोर को,
पड़े है मारा श्याम,
थे भी थोड़ो सो,
ध्यान राख जो,
चाले पुरवाई की,
सीली सीली भाळ,
सिगड़ी को,
इंतज़ाम राख जो।।
Singer & Lyricist – Nitesh Sharma Golu








