हम तेरे दर पे आए है,
दीवानों की तरह,
सिर्फ एक बार,
मुलाकात का मौका दे दे।।
तर्ज – हम तेरे शहर में आए है।
अपनी आंखों में छुपा,
रखे है जुगनू मैंने,
अपनी पलकों पे सजा,
रखे है आंसू मैंने,
मेरी आंखों को भी,
बरसात का मौका दे दे,
हम तेरे दर पे आये हैं,
दीवानों की तरह।।
मेरी मंजिल है कहाँ,
मेरा ठिकाना है कहाँ,
सुबह तक तुमसे बिछड़ कर,
मुझे जाना है कहाँ,
सोचने के लिए,
इक रात का मौका दे दे,
हम तेरे दर पे आये हैं,
दीवानों की तरह।।
भूलना ही था तो ये,
इकरार किया ही क्यूँ था,
बेवफा तुने मुझे,
प्यार किया ही क्यूँ था,
सिर्फ़ दो चार,
सवालात का मौका दे दे,
हम तेरे दर पे आये हैं,
दीवानों की तरह।।
आज की रात मेरा,
दर्द-ए-मोहब्बत सुन ले,
कँप-कँपाते हुए होठों की,
शिकायत सुन ले,
आज इज़हार-ए,
ख़यालात का मौका दे दे
हम तेरे दर पे आये हैं,
दीवानों की तरह।।
हम तेरे दर पे आए है,
दीवानों की तरह,
सिर्फ एक बार,
मुलाकात का मौका दे दे।।
Singer – Sadhvi Purnima Didi