गोरख नाथ कहै सुण चेले,
मत घबराए तू,
करदयूंगा तेरी मौज मेरी रै,
जोत जगाईए तू।।
तर्ज – सुरतीनाथ बता मेरे चेले।
नित राखिए साफ सदा ना,
करिए तू बेईमानी,
बात बडयां की ना ठुकराइए,
करिए ना मनमानी,
मात-पिता नै दी जिंदगानी,
नहीं सताईए तू,
करदयूंगा तेरी मौज मेरी रै,
जोत जगाईए तू।।
कर्म प ध्यान रखिए अपणा,
मै सूं तेरे साथ र,
रोग बैमारी आवण ना दूं,
राखूं सुख म गात र,
तेरा कर्म सै तेरे हाथ र,
करता जाईए तू,
करदयूंगा तेरी मौज मेरी रै,
जोत जगाईए तू।।
तेरी सोच तै ज्यादा बेटे,
देदयूंगा तनै फल म,
सतमार्ग न छोडेगा तो,
खो भी दयूंगा पल म,
किसी और का पेट चीरकै,
ना भूख मिटाईए तू,
करदयूंगा तेरी मौज मेरी रै,
जोत जगाईए तू।।
विजय नाथ त दे राखया स,
गुरु रतन अनमोल मनै,
कुड़लण आले गजेन्द्र लिखणे,
सदा वजन के बोल तनै,
मन कपटी न काबू करकै,
कलम चलाइए तु,
करदयूंगा तेरी मौज मेरी रै,
जोत जगाईए तू।।
गोरख नाथ कहै सुण चेले,
मत घबराए तू,
करदयूंगा तेरी मौज मेरी रै,
जोत जगाईए तू।।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।
9034283904