फूल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
बीमारी में बाबा हो गया,
नोट कटा सु आवे,
आखिर बाई को जीव निकल गयो,
दुणों घबरावे,
फुल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
धबड़ धबड़ तो बाई बले,
नाई राच ले आवे,
घटे जो तो हजामत करे दे,
चोटी ने राम बचावे,
फुल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
आप पास का गांव का जो,
सुणे बैठ बा आवे,
बीड़ी जेब मु काड़े कोयने,
धामा पे नजर फैलावे,
फुल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
वाके मरग्या वाके मरग्या,
यूं यूं के समझावे,
उबा गेहूं ने गेणे मांड दे,
शक्कर की बोरिया लावे,
फुल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
बना पांच पकवान भाई रे,
पचे जिम्बा जावे,
खेत कूड़ा तो गेणे मंडग्या,
तोई खेते मेंलवा जावे,
फुल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
मृत्यु भोज ने बन्द करो तो,
मौकों फेर नहीं आवे,
ई बगत भी कई न होयो,
ओंकारो कहे समझावे,
फुल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
फूल्या की बाई मरगी रे,
पंचा ने लाडू भावे।।
गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
मालासेरी डूंगरी – 8947915979
चारभुजा लाइव कालियास।