द्वारपालो कन्हैया को,
कर दो खबर,
आया है सुदामा,
तुम्हारे नगर,
द्वारपालों कन्हैया को,
कर दो खबर।।
तर्ज – साथिया नहीं जाना।
कह दो कन्हैया से,
बचपन का यार तेरा,
मिलने को द्वार तेरे आया है,
ढूंढा है नगर सारा,
पूछ पूछ सब से हारा,
पता मुशकिलों से तेरा पाया है,
हो ऽऽऽ दर दर खाकर ठोकर,
मिली है डगर,
द्वारपालों कन्हैया को,
कर दो खबर।।
देखा है जो हाल सारा,
वही नन्दलाल को,
जाके द्वारपाल ने बताया है,
फटी है बिवाई वाके,
कुर्ती ना छगा है तन पे,
नाम सुदामा बाललाया है,
हो ऽऽऽ आये दौड़े दौड़े,
हुआ ना सबर,
द्वारपालों कन्हैया को,
कर दो खबर।।
दीनदशा देख के,
बचपन के यार की,
भर के कन्हैया बडे रोए है,
रो रो कन्हैया ने,
नैनन के जल से,
सुदामा के दोनों पग धोएं है,
हो ऽऽऽ आया ना इथर,
दिन बिताये किधर,
द्वारपालों कन्हैया को,
कर दो खबर।।
द्वारपालो कन्हैया को,
कर दो खबर,
आया है सुदामा,
तुम्हारे नगर,
द्वारपालों कन्हैया को,
कर दो खबर।।
गायक – संजय काला।
प्रेषक – पंकज अग्रवाल।
8209984008