धोलागढ में थारो देवरो,
दोहा – कलकत्ते में कालका,
सालासर हनुमान,
रुणिचा में बाबो रामदेल,
रामो राजकुमार।
धोलागढ में थारो देवरो,
जगदम्बा ब्रह्माणी रूप धराय रे।।
भक्त उबारण कारणे,
भवानी भिन भिन भैष बणाय रे,
विकराल रुप तन धारगे,
दुष्टा ने मार खपाय रे,
धोलागढ मे थारो देवरों।।
कलकंते माही कालका,
भवानी पल्लू नगर बसाय रे,
प्रजापत भाटी थाने धोकरया,
थारी जुग जुग ज्योत सवाय रे,
धोलागढ मे थारो देवरों।।
चारण भवानी तूं चारणी,
जगदम्बा देशाणैरी माय रे,
कुल न तारण कारणे जगदम्बा,
करणी मात कहलाय रे,
धोलागढ मे थारो देवरों।।
शिखर चोटी पहाड़ में जगदम्बा,
जीवण बण धुकाय रे,
हर्षो भेरूं संग साथ में,
जगदम्बा हर्ष प्रेम बढाय रे,
धोलागढ मे थारो देवरों।।
शीतल माता तूं शीतला जगदम्बा,
गुड़गांवा थान थरपाय रे,
जहां देखूं जहा तूं बसै जगदम्बा,
बलवन्त राम कथ गाय रे,
धोलागढ मे थारो देवरों।।
धोलागढ में थारो देवरों,
जगदम्बा ब्रह्माणी रूप धराय रे।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329
लेखक – बलवन्त राम लौट चेलासरी।








