ना मांगु मैं हीरे मोती,
ना चांदी ना सोना,
मुझे चरणों में रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना,
बाबोसा सँग बाईसा हो,
मिले धाम चूरू जैसा,
मुझे चरणो मे रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना।।
तर्ज – रंग रंग के फूल खिले।
मुझे चढ़ी है खुमारी तेरे नाम की,
अब ये दौलत है मेरे किस काम की,
मेरी है एक बस यही आरजू,
मुझे सेवा मिले चूरू धाम की,
अपने दर का दे दो मुझको,
एक छोटा सा कोना,
मुझे चरणो मे रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना।।
तेरे दर की मिले जो मुझे चाकरी,
रोज लगती रहेगी मेरी हाजरी,
तेरी सेवा में जीवन ये बीते,
तेरी गोद मे हो ये सांस आखरी,
मतलब की इस दुनिया से अब,
क्या लेना क्या देना,
मुझे चरणो मे रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना।।
मेरे गम की सुनाऊं क्या दास्तां,
मेरे अपनो ने तोड़ा मुझसे वास्ता,
मेरी उंगली पकड़कर बाबोसा,
मुझे दिखलादे चूरू का रास्ता,
बाबोसा मेरी अर्जी सुनलो,
है ये “दिलबर” का कहना,
मुझे चरणो मे रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना।।
ना मांगु मैं हीरे मोती,
ना चांदी ना सोना,
मुझे चरणों में रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना,
बाबोसा सँग बाईसा हो,
मिले धाम चूरू जैसा,
मुझे चरणो मे रख लेना,
बाबोसा मेरे सर पे हाथ रखना।।
गायिका – कृष्णा विजयवर्गीय कोटा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
( म्यूजिक डायरेक्टर एवम कंपोजर )
मो. 9820947184