अकेला काई आओ जी,
सत्संगत रे माय,
सत्संगत रे माय,
भाया राम कथा रे माय।।
मात पिता भाया ने लाओ,
लाओ चाची ताई,
बेटा और बहुआ ने लाओ,
बेटी संग जंवाई,
अकेला कांई आओ जी,
सत्संगत रे माय।।
सासु ने सुसरा ने लाओ,
साला नें समझाई,
समधी ने समधण ने लाओ,
खातिर करो सवाई,
अकेला कांई आओ जी,
सत्संगत रे माय।।
जाती ने नाती ने लाओ,
लाओ घर को नाई,
बहन भाणजी भुआ ने लाओ,
बांटो आज बधाई,
अकेला कांई आओ जी,
सत्संगत रे माय।।
बेरी ने दुश्मण ने लाओ,
दीजो बेर हटाई,
पास पड़ोसी सब ने लाओ,
सब की करों भलाई,
अकेला कांई आओ जी,
सत्संगत रे माय।।
गांव शहर गली गली में,
हेलो दयो फिरवाई,
परमेश्वर ने अपणों मानो,
या ही बड़ी कमाई,
अकेला कांई आओ जी,
सत्संगत रे माय।।
अकेला काई आओ जी,
सत्संगत रे माय,
सत्संगत रे माय,
भाया राम कथा रे माय।।
स्वर – जसराज जी वैष्णव।
प्रेषक – शंभू कुमावत दौलतपुरा।
9981101560








