अब श्याम धणी मेरा न्याय करो,
करो बंद जुबान जमाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने,
मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की।।
तर्ज – बाबुल की दुआए।
मेरे भावों पे हक है तेरा,
इसपे जग का अधिकार नहीं,
भावों पे जमाना तंज कसे,
मुझको हरगिज स्वीकार नहीं,
ये फर्ज तुम्हारा है बाबा,
साँचो की लाज बचाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने,
मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की।।
मेरे भावों को जग वालो ने,
बिन समझे ही पाखंड कहा,
मैंने कुछ ना कहा खामोश रहा,
तो सबने उसे घमंड कहा,
दुनिया वालो की आदत है,
हर बात पे बात बनाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने,
मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की।।
हर युग में सांवरिया जग ने,
भगतों पे सवाल उठाये है,
दुनिया के सवालों के आगे,
हनुमान भी शीश झुकाएं है,
भगवान को भी नौबत आई,
तब सीना चीर दिखाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने,
मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की।।
जिन्हें प्रेम का अर्थ पता ही नहीं,
उस प्रेम को ये क्या तोलेंगे,
मेरे पेरम है झूठा या सच्चा,
ये भेद श्याम ही खोलेंगे,
अब वक्त आ गया है ‘माधव’,
सच्चाई से परदा हठाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने,
मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की।।
अब श्याम धणी मेरा न्याय करो,
करो बंद जुबान जमाने की,
दुनिया को इजाजत दी किसने,
मेरे प्रेम पे उँगली उठाने की।।
गायक – लव अग्रवाल।
प्रेषक – हरित गर्ग।
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