हरि ना पावे गुरु बिना,
सुध बुद्धि का ज्ञान बावले,
क्यूंकर आवै गुरु बिना,
टोहे तै भी दुनिया के माह,
हरि ना पावै गुरु बिना।।
गुरु शब्द अनमोल रत्न,
ये वेदों ने बतलाया रे,
भगति रस का पीकै प्याला,
होज्या आनंद काया रे,
इस माया की नगरी तै हा,
कौन बचावै गुरु बिना,
टोहे तै भी दुनिया के माह,
हरि ना पावै गुरु बिना।।
सतगुरु की जो रह शरण में,
वो होजा बड़भागी रे,
जो सेवा निस्वार्थ करै सै,
उसकी किस्मत जागी रे,
बुरे टैम मैं खड़या सिरहानै,
कोए ना पावै गुरु बिना,
टोहे तै भी दुनिया के माह,
हरि ना पावै गुरु बिना।।
जब तक सिर पै हाथ गुरु का,
के करलेगा काल तेरा,
गुरु चरना में मौज करे जा,
बाका हो ना बाल तेरा,,
अटकी नैया पार किनारे,
कौन लगावै गुरु बिना,
टोहे तै भी दुनिया के माह,
हरि ना पावै गुरु बिना।।
अंतरमन पै गुरु बिना यो,
चलै किसे का जोर नही,
ऐसी महान विभूति जग में,
पावैगी कोए और नही,
डांगी भी यो जन्म जन्म तक,
रह ना पावै गुरु बिना,
टोहे तै भी दुनिया के माह,
हरि ना पावै गुरु बिना।।
सुध बुद्धि का ज्ञान बावले,
क्यूंकर आवै गुरु बिना,
टोहे तै भी दुनिया के माह,
हरि ना पावे गुरु बिना।।
Singer – Shri Narender Kaushik Ji
Upload – Hannu Dangi
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