रणधीर वीर बलवान बली,
पवनसुत अंजनी लाला,
पवनसुत अंजनी लाला,
दीनों के दीनदयाला,
रणधीरवीर बलवानबली,
पवनसुत अंजनी लाला।।
कपि कुलवंश में जायो,
थारो हनुमंत नाम धरायो,
खुद शंकर प्रगटायो रे,
जो जगत रचाने वाला,
रणधीरवीर बलवानबली,
पवनसुत अंजनी लाला।।
लंका पर करी थे चढ़ाई,
सेतू बांध दियो पल माही,
श्री राम नाम धुन लाई रे,
जो बिगड़ी बनाने वाला,
रणधीरवीर बलवानबली,
पवनसुत अंजनी लाला।।
विभीषण मित्रता कीनी,
जाय सिया सुधि लिनी,
मात मुंदरिका दिनी रे,
दुखियों के तू प्रतिपाला,
रणधीरवीर बलवानबली,
पवनसुत अंजनी लाला।।
दुष्टों को मार गिराए,
लखन के प्राण बचाए,
भक्त पवन मन भाए रे,
बलवन्त अन्त विशाला,
रणधीरवीर बलवानबली,
पवनसुत अंजनी लाला।।
रणधीर वीर बलवान बली,
पवनसुत अंजनी लाला,
पवनसुत अंजनी लाला,
दीनों के दीनदयाला,
रणधीरवीर बलवानबली,
पवनसुत अंजनी लाला।।
गायक – समुन्द्र चेलासरी।
मो. – 8107115329
लेखक – बलवन्त राम लौट चेलासरी।








