मनवा चाल गुरूजी रे शरणे,
गुरु भव पार करेला रे,
पार करेला पार करेला,
पार करेला रे,
गुरु भव पार करेला रे।।
जग अंधियारों नैन ना सूझे,
जीव भटक भरमावे,
ज्ञान री ज्योति प्रकाश दिखाकर,
सतगुरु राह बतावे,
गुरु भव पार करेला रे।।
पोथी पढ़ पढ़ जग भरमावे,
हाथ नहीं कुछ आवै,
ग्रंथन से मन ग्रन्थ ना झूठा,
सतगुरु भेद बतावे,
गुरु भव पार करेला रे।।
गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है प्यारो,
घड़ घड़ खोट मिटावे,
हाथ पकड़ पग पग पर गुरूजी
ऊंच नीच समझावे,
गुरु भव पार करेला रे।।
सतगुरु दया दृष्टि जद कर दे,
शिष्य गुरु सम होवे,
पारस लोहा स्वर्ण बनावे,
पारस नहीं बनावे,
गुरु भव पार करेला रे।।
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु,
गुरु महादेव कहावे,
लालदास सतगुरुजी री महिमा,
सभा बीच में गावे,
गुरु भव पार करेला रे।।
मनवा चाल गुरूजी रे शरणे,
गुरु भव पार करेला रे,
पार करेला पार करेला,
पार करेला रे,
गुरु भव पार करेला रे।।
गायक – लालजी वैरागी।
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