प्रभु अपने दर से,
अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो।।
खाली ना जाता कोई,
दर से तुम्हारे,
द्वारे खड़ा हूँ नन्ही,
बाहें पसारे,
चरणों की सेवा में,
लगा लो लगा लो,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो,
प्रभु अपनें दर से,
अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो।।
नहीं टूट पायेगा,
दुनियाँ का बंधन,
जब तक कृपा ना होगी,
तेरी रघुनंदन,
कदम लड़खड़ाए है,
संभालो संभालो,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो,
प्रभु अपनें दर से,
अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो।।
अगर था हटाना तो,
फिर क्यों बुलाया,
सोते ही रहने देते,
काहे जगाया,
अब जब जगाया तो,
अपना बना लो,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो,
प्रभु अपनें दर से,
अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो।।
बंधन प्रताप सारे,
टूट चुके है,
जितने सहारे थे,
छुट चुके है,
अवसर मिला है अपना,
वादा निभा लो,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो,
प्रभु अपनें दर से,
अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो।।
प्रभु अपने दर से,
अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ,
उठा लो उठा लो।।
स्वर – श्री राजन जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202








