कोई तन में लगा,
कोई धन में लगा,
मेरा मन तो हरि के,
भजन में लगा।।
कोई दौलत कमाने में,
मन से लगा,
कोई दौलत उड़ाने में,
मन से लगा,
कोई चोरी चकारी की,
धुन में लगा,
मेरा मन तो हरी के,
भजन में लगा।।
कोई देकर के धोखा,
सफल हो गया,
कोई कर कर के मेहनत,
विफल हो गया,
कोई अपना बनाने,
भवन में लगा,
मेरा मन तो हरी के,
भजन में लगा।।
कोई जप में लगा,
कोई तप में लगा,
कोई ईश्वर को अपने,
मनाने लगा,
कोई कर्मों के बंधन,
कटाने लगा,
मेरा मन तो हरी के,
भजन में लगा।।
कोई तन में लगा,
कोई धन में लगा,
मेरा मन तो हरि के,
भजन में लगा।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202