झिलमिल झिलमिल होरी भवना में,
सजी बैठी माई बनभौरी भवनां में।।
सोहणा रूप चाँद सा खिल रहया,
आँखयां म काजल डोरा घल रया,
सूरत मन को मोहरी भवनां म,
सजी बैठी माई बनभौरी भवनां म,
झिलमिल झिलमिल होरी भवनां म।।
चमकै चोल्ला सिर की चून्दडी़,
हरी गुलाबी चुडी़ मुन्दडी़,
लड़ म मोती पीरो री भवनां म,
सजी बैठी माई बनभौरी भवनां म,
झिलमिल झिलमिल होरी भवनां म।।
झुम्मैं नाच्चैं भगतां की टोली,
खुशियों की माँ भरती झोली,
दुख संकट सब खोरी भवनां म,
सजी बैठी माई बनभौरी भवनां म,
झिलमिल झिलमिल होरी भवनां म।।
गजेन्द्र स्वामी मार एक गेडा़,
कटज्यागा तेरा सब उलझेडा़,
सोंपदे जिन्दगी की डोरी भवनां म,
सजी बैठी माई बनभौरी भवनां म,
झिलमिल झिलमिल होरी भवनां म।।
झिलमिल झिलमिल होरी भवना में,
सजी बैठी माई बनभौरी भवनां में।।
लेखक व प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – सोनू लाम्भा खेडी़।