श्याम सुंदर से जब,
मेरा मन लग गया,
मन जगत में लगा करके,
मैं क्या करूं।।
नाम पूजा करो,
भाव सेवा से तुम,
भाव पूजा करो,
सच्ची मेवा से तुम,
सच्चे भावो से जब,
रीझ जाते है वो,
ढोंग झूठे दिखा करके,
मैं क्या करूं,
मन जगत में लगा करके,
मैं क्या करूं।।
झूठे जग के ये रिश्ते,
और नाते बने,
आई विपदा जगत में,
तो जाते बने,
सच्चा साथी बना लो,
तुम घनश्याम को,
मन जगत में फसा करके,
मैं क्या करूं।।
श्याम सुंदर से जब,
मेरा मन लग गया,
मन जगत में लगा करके,
मैं क्या करूं।।
स्वर – श्री अंकुश जी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश पांचाल उज्जैन मध्य प्रदेश।
9926652202









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