माँ ने तुझको ममता दीनी,
जब तूने माँ मानी,
माँ ने जब तुझे दूध पिलाया,
तब तूने माँ पहचानी,
पर बेटा तूने,
दूध की कदर ना जानी।।
नौ महीने तुझे गर्भ में रखा,
सारे सुख दुःख झेले,
मन मे मां फूली न समाए,
जब तू गोद मे खेले,
गोद खिलाए लोरी गाए,
कभी सुनाए कहानी,
पर बेटा तुने,
दूध की कदर ना जानी।।
तुझे सुलाती सूखे में,
खुद गीले मे सो जाती,
खुद भूखी रह जाती,
पर मां तुझको दूध पिलाती,
मां ने इस औलाद की खातिर,
क्या क्या दी कुर्बानी,
पर बेटा तुने,
दूध की कदर ना जानी।।
बड़ा हुआ तो मां ने जाने,
क्या क्या आस लगाई,
धूम धाम से शादी कर दी,
दुल्हन घर मे आई,
जिस दिन से घर दुल्हन आई,
मां बन गईं नौकरानी,
पर बेटा तुने,
दूध की कदर ना जानी।।
चौथे पन का हुआ सहारा,
बुढ़िया आस लगाए,
प्यार से माता पानी मांगे,
बेटा पास न आए,
जिसका तूने दूध पिया,
तू पिला सका ना पानी,
पर बेटा तुने,
दूध की कदर ना जानी।।
जीते जी जल को तरसाई,
मर के गंगा नहाई,
सुख में ‘केशव’ दुःखी आत्मा,
देख तुझे हर्षाई,
जाते जाते छोड़ आई,
ममता की एक निशानी,
पर बेटा तुने,
दूध की कदर ना जानी।।
माँ ने तुझको ममता दीनी,
जब तूने माँ मानी,
माँ ने जब तुझे दूध पिलाया,
तब तूने माँ पहचानी,
पर बेटा तूने,
दूध की कदर ना जानी।।
स्वर – श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज।
लेखक – केशव सागौरिया डबरा।
प्रेषक – लक्ष्मण शर्मा डबरा।
मो. 9009315918