दोनों हाथो को पहले उठाइए,
इक दूजे से फिर मिलाइए,
फिर ताली बजाकर बोलिए,
मेरी मईया का जयकारा।।
माता के दरबार में,
बैठे रहो ना खाली,
जय माता दी कहते जाओ,
बोलो जय माता दी,
(कोरस – जय माता दी),
जय माता दी कहते जाओ,
बजा बजा के ताली,
“इन्सान के जीवन में,
कभी खुशी तो कभी ग़म होता है,
और तालियां वही बजाते है,
जिनके हाथों में दम होता है”
फिर ताली बजाकर बोलिये,
मेरी मईया का जयकारा।।
माता के दरबार में,
आओ करें जगराता,
मईया का अपने बच्चों से,
बोलो जय माता दी,
(कोरस – जय माता दी),
मईया का अपने बच्चों से,
बड़ा ही निर्मल नाता,
“नीम का पेड़ किसी,
चंदन से कम नहीं है,
और हमारा सीधी,
किसी लंदन से कम नहीं है”
तो फिर ताली बजाकर बोलिये,
मेरी मईया का जयकारा।।
दोनों हाथो को पहले उठाइए,
इक दूजे से फिर मिलाइए,
फिर ताली बजाकर बोलिए,
मेरी मईया का जयकारा।।
गीतकार / गायक – प्रकाश तिवारी मधुर।