मत कर गर्भ गुमान,
काया को,
भाई मतकर गर्भ गुमान,
दुनिया में थोड़ा,
जीवनों भाईडा रे।।
स्वार्थ को संसार भाई,
स्वार्थ को संसार रे,
स्वार्थ का तो मेला,
लाग रहिया संसार में रे।।
ऊंचा बनाया महल जुगत में,
ऊंचा बनाया महल रे,
महला ने सुना,
छोड़ गयो भाईडा रे।।
रावण किया गर्भ गुमान,
भाई रे रावण किया गर्भ गुमान,
सोना की लंका,
डूब गई भाईडा रे।।
धन का भरिया भंडार भाई रे,
धन का भरिया भंडार,
कोड़ी भी लारे नहीं,
जावसी भाईडा रे।।
कर ले भलाई को काम जगत में,
कर ले भलाई को काम,
पाछे तो चर्चा,
होवसी भाईडा रे।।
कह गया दास कबीर भाई,
मारा के गया दास कबीर,
दुनिया से खाली,
जावसी भाईडा रे।।
मत कर गर्भ गुमान,
काया को,
भाई मतकर गर्भ गुमान,
दुनिया में थोड़ा,
जीवनों भाईडा रे।।
गायक – आत्माराम जी भारती।
प्रेषक – सम्पत पुरी गोस्वामी।
8000468275