भजन बिन काया सुनी,
सतगुरु बिन कोन्या सरे,
गुरुवा बिन कोनिया सरे।।
पांच तत्वों का बणा पिंजरा,
मन काबू ते बहार,
इधर-उधर ने डोल रहा से,
पंछी बण लाचार,
फिरे यो पागल मनवा,
काबू में कौन करें।।
काम क्रोध मध लोभ तिष्णा,
के के खैल रचावे,
ना सोवण दे ना जागण दे,
चित मे उचाटी लावे,
माया बण खड़ी अप्सरा,
जाल मैं कोण घिरे।।
एक तरफ ने नरक कुंड औडे,
एक न स्वर्ग द्वारा,
एक तरफ ने कालबली तेरा,
चाले कोना चारा,
लगी औडे यम की कचहडी,
बोएं तनें उसे भरे।।
गुरु रविदासा घट घट वाशा,
करो हृदय प्रवेश,
दिलावर सिंह शरण तिहारी,
जाऊं कौण से देश,
फसी मेरी नाव भंवर में,
सतगुरु बिन कोना तिरे।।
भजन बिन काया सुनी,
सतगुरु बिन कोन्या सरे,
गुरुवा बिन कोनिया सरे।।
गायक / लेखक – दिलावर सागर।
मोबाइल – 9466351307