कलयुग में बन्दे,
तू ले हरि का नाम,
नहीं कुछ सिवा राम के,
रह रह के आएगा,
ये ही तो काम,
नहीं कुछ सिवा राम के।bd।
बादल विपत्ति के अँधेरी है रातें,
भजन सार दुनिया की झूठी है बातें,
भजन सार दुनिया की झूठी है बातें,
जाना कहाँ है रस्ते तमाम,
नहीं कुछ सिवा राम के,
कलियुग में बन्दे,
तू ले हरि का नाम,
नहीं कुछ सिवा राम के।bd।
मन का रतन रख जतन से अनाड़ी,
आगे ठगों की बस्ती है भारी,
आगे ठगों की बस्ती है भारी,
लूट जाए मोती रहे ना छदाम,
नहीं कुछ सिवा राम के,
कलियुग में बन्दे,
तू ले हरि का नाम,
नहीं कुछ सिवा राम के।bd।
ये तन है टूटी नबरिया रे प्राणी,
इसमें ना भर जाए पापों का प्राणी,
इसमें ना भर जाए पापों का प्राणी,
नादान केवट है आगे मुकाम,
नहीं कुछ सिवा राम के,
कलियुग में बन्दे,
तू ले हरि का नाम,
नहीं कुछ सिवा राम के।bd।
बचपन में खेला जवानी का मेला,
आया बुढ़ापा झमेला झमेला,
आया बुढ़ापा झमेला झमेला,
खाली ये करना पड़ेगा मुकाम,
नहीं कुछ सिवा राम के,
कलियुग में बन्दे,
तू ले हरि का नाम,
नहीं कुछ सिवा राम के।bd।
कलयुग में बन्दे,
तू ले हरि का नाम,
नहीं कुछ सिवा राम के,
रह रह के आएगा,
ये ही तो काम,
नहीं कुछ सिवा राम के।bd।
स्वर – श्री धन्वन्तरी दास जी महाराज।