म्हारे गाम प दादा खेडे़,
राखिए शीली छाँ,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा।।
फूल्लै फलै गाम सदा म्हारा,
रहै गूँजता तेरा जयकारा,
दूध पूत का तू रखवाला,
सबतै न्यारा शबतै प्यारा,
तुम बिन पार नहीं हो किनारा,
रखिए पकड़ क बाँह,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा।।
आपस के म प्यार बढाईए,
सबकी अगत की बेल चलाईए,
धर्म कर्म का पाठ पढाईए,
भूले नै तू राह दिखाईए,
मेहर भरी नजरां त लखाईए,
तेरे बालक साँ,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा।।
जुग जुग दीवा बले जा तेरा,
रहवै आबाद अगत का डेरा,
गौं का जाया बणकै दादा,
हर घर लाईऐ अपणा फेरा,
दुख दर्दां का घेरा तेरे,
होते आवै ना,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा।।
दिन दिन उम्र गजेन्द्र ढलती,
भजन बिना ना जिन्दगी फलती,
भजन म डटकै कर्म करे जा,
कर्म त लक्की किसमत बणती,
माफी सै जै होज्या गलती,
सतपुर्षों न कहया,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा।।
म्हारे गाम प दादा खेडे़,
राखिए शीली छाँ,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा,
ओ दादा जी बस तेरा आसरा।।
गायक – लक्की पिचौलिया।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लणीया।
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