साँवरिया माने थाँकी,
या सूरत प्यारी लागे,
जब तक ना देखूँ थाने,
मारो जीव कहीं ना लागे,
थाने निरख निरख देखूँ साँवरिया।।
मंडफ़िया के माही मोहन,
आप बिराजो,
शरणा में आयो थाँकी,
भाग मारो जाग्यो,
थारी महिमा अपरंपार,
थारे आवे यो संसार,
थारे चरणा रो चाकर में तो साँवरिया।।
भर्या है भंडारा थारे,
कमी नहीं किसकी,
बिगड़ी बनावे मोहन,
सुने बात सबकी,
थे तो लक्ष्मी रा भरतार,
अर्जी सुनलो थे सरकार,
कर दो नैया ने पार मारा सांवरिया।।
राधा का रसिया गिरिधर,
मीरा का मोहन,
प्रेम में थारा गोविंद,
बनी दोनों जोगन,
थे तो प्रेम का पुजारी,
मोहन दीना का उपकारी,
म्हाने भव सू तारो मारा साँवरिया।।
आस लेके आयो गिरीधर,
बात मन की लायो,
रीतो मत ख़ंदाजे,
जगत सेठ तू कहायो,
पूरण छावे साँवरिया,
चरणा में थाँके रेऊ,
थे थाँका मन की खिज्यो,
मैं मारा मन की खेउ,
जी भर थाने निहारूँ मारा साँवरिया।।
साँवरिया माने थाँकी,
या सूरत प्यारी लागे,
जब तक ना देखूँ थाने,
मारो जीव कहीं ना लागे,
थाने निरख निरख देखूँ साँवरिया।।
गायक – पूरन धाकड़।
9009986220