विणी छोड़ वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी,
विनी को तू भेद न जोने,
तू बड़ो अनाड़ी है,
विनी छोड वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी।।
पाना जेड़ी पिली भई,
पलंगीय पौधाड़ी है,
विरह की कटारी काने,
उर विच मारी है,
विनी छोड वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी।।
आँगलिया अनेक रेखा,
कर्म रेख न्यारी,
दांतो की बाटीसी कान्है,
सोवन मैख सारी है,
विनी छोड वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी।।
गोकला मे कोन्हो बसे,
वासु मेरी यारी है,
उसी को बुलाई लाओ,
वोही वेद भारी है,
विनी छोड वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी।।
जमना रे तट नाग नाथयो,
शेष कलाधारी है,
बाई मीरा लाल गिरधर ओ,
चरणों री बलहारी,
विनी छोड वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी।।
विणी छोड़ वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी,
विनी को तू भेद न जोने,
तू बड़ो अनाड़ी है,
विनी छोड वेद वीर,
मुझे पीड़ न्यारी।।
गायक – रणवीर सिंह राठौर।
प्रेषक – दलाराम वणल।
गोलिया जैतमाल।
9783893400