तू राख भरोसो,
नाव तेरी तर ज्यासी,
बीच भंवर ना अटके नैया,
मैया पार लगासी रे।।
सांचे मन से करले ध्यावना,
मैया आड़ी आसी,
मन को मेल मिटाले प्राणी,
जीवन सुफल हो ज्यासी रे,
तु राख भरोसों,
नाव तेरी तर ज्यासी।।
मां की महिमा बड़ी निराली,
दुखड़ा देख ना पावे,
संकट आणे स ही पहल्या,
मैया ही आ ज्यासी रे,
तु राख भरोसों,
नाव तेरी तर ज्यासी।।
“नाथ गुलाब” जो शरण म आसी,
मैया का गुण गासी,
“विनय” भाव सु भजन सुनासी,
भव सागर तर ज्यासी रे,
तु राख भरोसों,
नाव तेरी तर ज्यासी।।
तू राख भरोसो,
नाव तेरी तर ज्यासी,
बीच भंवर ना अटके नैया,
मैया पार लगासी रे।।
गायक – संत श्री गुलाब नाथ जी महाराज।
लेखक – विनय तमोली लक्ष्मणगढ़।
मोबाइल – 9785064838







