थे रुस्या तो,
म्हारे कइयां सरसी,
बाबुल के रुठ्या टाबरिया,
बोलो काई करसी,
म्हारे कइयां सरसी,
टाबरिया की नादानी,
म्हे तो भुलानो पड़सी,
थे रुस्यां तो,
म्हारे कइयां सरसी।।
थारो म्हारो प्रेम पुराणो,
कुछ तो सोचो विचारो,
भूल गया के ओ बाबा जी,
मैं हूं टाबर थारो,
थे भुल्या पर मैं तो बाबा,
थारो हूं बस थारो,
था बिन ई भोला बालक की,
बोलो कुण सुनसी,
थे रुस्यां तो,
म्हारे कइयां सरसी।।
मानो मिजाजी अब तो मानो,
कद से थाने मनावा,
थारी हाजरी रोज बजावा,
थारा हुक्म उठावा,
म्हारी पागड़ी थारे चरण में,
मैं तो शीश झुकावा,
इतनी आंख्यां तो और कठे,
म्हारी कोनी बरसी,
थे रुस्यां तो,
म्हारे कइयां सरसी।।
सुन टाबर की बातां सारी,
बोल्या श्याम मुरारी,
मैं तो बस तेरो प्रेम टटोलू,
जीव करे मत भारी,
क्यों भूले रे बावलिया तू,
मेरी जिम्मेदारी,
खाली झोली ‘गोलू’ तेरी,
जल्दी भरसी,
म्हे रुस्या तो,
मेरी कोणी सरसी।।
थे रुस्या तो,
म्हारे कइयां सरसी,
बाबुल के रुठ्या टाबरिया,
बोलो काई करसी,
म्हारे कइयां सरसी,
टाबरिया की नादानी,
म्हे तो भुलानो पड़सी,
थे रुस्यां तो,
म्हारे कइयां सरसी।।
गायक – अभिषेक नामा।
लेखक – नितेश शर्मा ‘गोलू’
प्रेषक – साहिल सांखला।








