तेरा श्याम कहाँ है,
बदले हुए से क्यों लग रहे हो,
श्याम पराये से क्यों लग रहे हो।।
तर्ज – और इस दिल में।
पहले दरबार आता,
देखकर तुम मुस्काते,
सामने अब आया जो,
देख नजरे चुराते,
कुछ तो बोलो क्यूँ बदले हो,
इतना बता दो श्याम,
इतना बता दो श्याम,
रोते हुए मैं जाता दर से,
श्याम ये कैसे देख रहे हो।।
सोचा था बाबा आकर,
देगा मुझको सहारा,
बताओ सांवरिया क्यों,
किया मुझसे किनारा,
लुट रही है लाज ये मेरी,
तेरे होते श्याम,
हाँ तेरे होते श्याम,
गैरों के जैसे तुम भी बाबा,
बैठे बैठे हंसने लगे हो।।
पहले क्यू प्रीत लगाकर,
प्रेम मुझसे बढ़ाया,
बुलाकर दर पे मुझको,
काहे मुखड़ा घुमाया,
मांगने कुछ ना आता तुमसे,
आता मिलने श्याम,
मैं आता मिलने श्याम,
रंग बदलती दुनिया में क्या,
तुम बदलोगे श्याम,
क्या तुम बदलोगे श्याम,
कृष्णा तुम्हीं तो अपने सनी का,
जन्मों से साथ निभाते रहे हो।।
बदले हुए से क्यों लग रहे हो,
श्याम पराये से क्यों लग रहे हो।।
गायक – सनी नारंग।
7986251903
लेखक – विकास अग्रवाल “कृष्णा”








